रोहतास: पीएमईजीपी और पीएमएफएमई योजना के तहत ऋण वितरण शिविर का आयोजन किया गया।
रोहतास जिले से सोनू कुमार की रिपोर्ट:-
बिहार में शनिवार को प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) और प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना (पीएमएफएमई) के तहत एक विशेष ऋण वितरण शिविर का आयोजन किया गया। राज्य के सभी जिलों में आयोजित इस शिविर का उद्देश्य उद्यमिता को प्रोत्साहन देना और स्थानीय उद्योगों को मजबूती प्रदान करना था। इसी क्रम में, रोहतास जिले के सासाराम स्थित डीआरडीए सभागार में एक महत्वपूर्ण शिविर लगाया गया, जिसमें 32 लाभुकों को विभिन्न बैंकों द्वारा ऋण स्वीकृति पत्र सौंपे गए। जिलाधिकारी की अध्यक्षता में स्वीकृति पत्र दिया गया, जिसमें विभिन्न प्रशासनिक और बैंकिंग अधिकारियों ने हिस्सा लिया। शिविर में उप विकास आयुक्त, महाप्रबंधक जिला उद्योग केंद्र, पटना से आए सहायक उद्योग निदेशक आशीष कुमार, जिला अग्रणी बैंक प्रबंधक और जिले के सभी प्रमुख बैंकों के प्रतिनिधि उपस्थित थे। इस अवसर पर जिलाधिकारी ने कहा कि ये योजनाएं प्रदेश में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने ऋण प्राप्त करने वाले लाभुकों को उद्यमिता को बढ़ावा देने और आर्थिक विकास में योगदान देने के लिए प्रेरित किया। इंडियन बैंक रोहतास द्वारा पीएमईजीपी योजना के तहत शबनम को 84 लाख 21 हजार रुपए का ऋण आयरन वर्क्स के लिए स्वीकृत किया गया। इसी प्रकार, पीएमएफएमई योजना के तहत प्रतिमा सिंह को डेयरी प्रोडक्ट के उत्पादन के लिए 57 लाख रुपए का ऋण स्वीकृत किया गया। ये ऋण स्वीकृति पत्र जिलाधिकारी और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा लाभुकों को सौंपे गए। बैठक को संबोधित करते हुए उप विकास आयुक्त ने लाभुकों से ऋण की राशि का सदुपयोग करने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह राशि आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए है, इसलिए इसका सही उपयोग सुनिश्चित करें और समय पर ऋण की वापसी करें। साथ ही, उन्होंने बैंक अधिकारियों से भी आग्रह किया कि वे लाभुकों को समय-समय पर मार्गदर्शन और सहायता प्रदान करें ताकि उनके व्यवसाय सुचारू रूप से चल सकें। इस अवसर पर उपस्थित अधिकारियों ने लाभुकों को योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी और उन्हें उद्यमिता के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराया। शिविर का उद्देश्य न केवल आर्थिक मदद प्रदान करना था, बल्कि लाभुकों को उद्यमिता के प्रति जागरूक करना और उन्हें स्वावलंबी बनने के लिए प्रेरित करना भी था।